जो रिस्क लेते हैं आगे वही बढ़ते हैं !

जब इंटरनेट का इस्तमाल नहीं होता था तब भी छुट्टे पैसे एक बड़ी समस्या थी |जहाँ भी सामान लेने जाओ दुकानदार छुट्टे पैसे का बहाना बना कर एक्स्ट्रा सामान पकड़ा देता था |लेकिन इस समस्या का किसी के पास भी कोई समाधान नहीं था |एक दिन Paytm के संस्थापक विजय शेखर शर्मा विदेश गए थे और वहाँ उनके पास छुट्टे पैसे नहीं थे तो टेक्सी ड्राईवर ने ऑनलाइन पेमेंट करने के लिएँ कहाँ तो विजय ने कार्ड से payment कर दिया |लेकिन एक सवाल मन कर गया की ये समस्या तो भारत में भी है तो क्यों ना भारत में भी एक ऐसी सेवा शुरू की जाये जिससे आम इंसान से लेकर खास व्यक्ति भी उपयोग करके छुट्टे पैसे के झंझट से बच सके |और यहीं से ये आईडिया आया और फिर Paytm का जन्म हुआ |और आज हर व्यक्ति paytm के बारे में जानता हैं |और इसको पहचान तब ज्यादा मिली जब नोटबंदी की गई |
Risk
हालांकि ऐसा नहीं है की ये सफलता आसानी से मिल गई हो इसके लिएँ उन्होंने कई समस्याओ का सामना किया हैं |जिसमें एक ये भी है की एक समय उनके पास खाना खाने के पैसे नहीं थे तो चाय से काम चलाते थे |पैसे बचाने के चक्कर में पैदल सफर करते थे |अपने साथिओं में पढ़ें में तेज थे |तो 15 साल की उम्र में दिल्ली collage ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया |लेकिन समस्या ये थी की विजय को न तो अंग्रेजी बोलना आती थी और न समझ आती थी |जब की क्लास में सब कुछ अंग्रेजी में ही पढाया जाता था |ऐसे में हालात से परेशान विजय ने क्लास में धीरे-धीरे जाना छोड़ दिया |और पेपर मैंगनीज की मदद से अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया |
आज आप इस बात से पता लगा सकते है की एक 100 लोगों की सूची रिपोर्ट में विजय शेखर शर्मा का नाम भी शामिल हैं |और ये तब हुआ जब विजय ने रिस्क लिया |और विजय ने रिस्क ना लिया होता तो आज कितने लोग जानते |सिर्फ मिलने वाले और कोई नहीं |
और कहते है ना की रिस्क से ही नाम बनते हैं |

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